अगर हम दश्त-ए-जुनूँ में न ग़ज़ल-ख़्वाँ होते

अगर हम दश्त-ए-जुनूँ में न ग़ज़ल-ख़्वाँ होते

शहर होते भी तो आवाज़ के ज़िंदाँ होते

ज़िंदगी तेरे तक़ाज़े अगर आसाँ होते

कितने आबाद जज़ीरे हैं कि वीराँ होते

तू ने देखा ही नहीं प्यार से ज़र्रों की तरफ़

आँख होती तो सितारे भी नुमायाँ होते

इश्क़ ही शोला-ए-इम्कान-ए-सहर है वर्ना

ख़्वाब ताबीर से पहले ही परेशाँ होते

माज़ी ओ दोश का हर दाग़ है फ़र्दा का चराग़

काश ये शाम ओ सहर सर्फ़-ए-दिल-ओ-जाँ होते

ज़ब्त-ए-तूफ़ाँ की तबीअत ही का इक रुख़ है 'ज़मीर'

मौज आवाज़ बदल लेती है तूफ़ाँ होते

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In Hindi By Famous Poet Syed Zameer Jafri. is written by Syed Zameer Jafri. Complete Poem in Hindi by Syed Zameer Jafri. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.