Ghazals of Syed Zameer Jafri
नाम | सय्यद ज़मीर जाफ़री |
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अंग्रेज़ी नाम | Syed Zameer Jafri |
जन्म की तारीख | 1916 |
मौत की तिथि | 1999 |
ज़िंदगी है मुख़्तलिफ़ जज़्बों की हमवारी का नाम
यूँ क़त्ल-ए-आम नौ-ए-बशर कर दिया गया
यक़ीं के भी क्या क्या हिजाबात हैं
तूफ़ाँ नहीं गुज़रे कि बयाबाँ नहीं गुज़रे
तन-आसानी नहीं जाती रिया-कारी नहीं जाती
तजर्बात-ए-तल्ख़ ने हर-चंद समझाया मुझे
मुझ से मत कर यार कुछ गुफ़्तार मैं रोज़े से हूँ
मेरी बीवी क़ब्र में लेटी है जिस हंगाम से
ख़ुलासा ये मिरे हालात का है
जुनूँ पे जब्र-ए-ख़िरद जब भी होश्यार हुआ
हुस्न को ग़ायत-ए-नज़र जाना
हम ज़माने से फ़क़त हुस्न-ए-गुमाँ रखते हैं
हम न्यूट्रल हैं ख़ारजा हिकमत के बाब में
हम अगर दश्त-ए-जुनूँ में न ग़ज़ल-ख़्वाँ होते
ग़रीब-ख़ाना हमेशा से जेल-ख़ाना है
गा रहा हूँ ख़ामुशी में दर्द के नग़्मात मैं
दर्द में लज़्ज़त बहुत अश्कों में रा'नाई बहुत
बड़ी हैरत से अरबाब-ए-वफ़ा को देखता हूँ मैं
अपनी ख़बर नहीं है ब-जुज़ इस क़दर मुझे
अपनी ख़बर नहीं है ब-जुज़ ईं क़दर मुझे
अपने ज़र्फ़ अपनी तलब अपनी नज़र की बात है
अगर हम दश्त-ए-जुनूँ में न ग़ज़ल-ख़्वाँ होते