ज़ाहिर में अगरचे यार ग़म-ख़्वार नहीं
ज़ाहिर में अगरचे यार ग़म-ख़्वार नहीं
पर इश्क़ की तासीर भी बेकार नहीं
जब जान कहा उसे वो आज़ुर्दा हुआ
क्यूँ कर मानूँ कि वो वफ़ादार नहीं
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ज़ाहिर में अगरचे यार ग़म-ख़्वार नहीं
पर इश्क़ की तासीर भी बेकार नहीं
जब जान कहा उसे वो आज़ुर्दा हुआ
क्यूँ कर मानूँ कि वो वफ़ादार नहीं
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