सूरत वो भली कि हो मगर माह-ए-तमाम
सीरत वो बुरी कि हो मगर वाली-ए-शाम
अच्छा होना बुरा नहीं है ज़िन्हार
क्यूँ ख़ू की बुरी न हो की हुए हो बदनाम
Anwar Masood
Faiz Ahmad Faiz
Parveen Shakir
Habib Jalib
Rahat Indori
Gulzar
Jaun Eliya
Mir Taqi Mir
Wasi Shah
Mohsin Naqvi
Javed Akhtar
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है ईद मय-कदे को चलो देखता है कौन
जब तिरा नाम सुना तो नज़र आया गोया
उस बुत का कूचा मस्जिद-ए-जामे नहीं है शैख़
वो चश्मा दिला कहाँ से पैदा होगा
कहाँ है तू कहाँ है और मैं हूँ
तेरे दर से मैं उठा लेकिन न मेरा दिल उठा
गर कहे हुलूल है वो इक अमर क़बीह
दिल में उतरी है निगह रह गईं बाहर पलकें
जाती नहीं है सई रह-ए-आशिक़ी में पेश
हो हिन्द का मद्ह-ख़्वाँ बरस में दो बार
सँभाल वाइ'ज़ ज़बान अपनी ख़ुदा से डरा इक ज़रा हया कर
कहते हैं छुप के रात को पीता है रोज़ मय