इख़्लास की धोके पर हूँ माइल तेरा
सच तो ये है कि जानता है मुश्किल तेरा
रेशम की सी लच्छी हैं सब आ'ज़ा तेरे
क्यूँ कर जानूँ कि सख़्त है दिल तेरा
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है ईद मय-कदे को चलो देखता है कौन
कहते हैं छुप के रात को पीता है रोज़ मय
शबिस्ताँ में रहो बाग़ों में खेलो मुझ से क्यूँ पूछो
थी आसमाँ पे मेरी चढ़ाई तमाम रात
भला क्या ता'ना दूँ ज़ुहहाद को ज़ुहद-ए-रियाई का
रोने ने मिरे सैकड़ों घर ढा दिये लेकिन
वाइ'ज़ ओ शैख़ सभी ख़ूब हैं क्या बतलाऊँ
क्या बात है कारसाज़ तेरी मैं कौन
दिल में उतरी है निगह रह गईं बाहर पलकें
कहते हो सब कि तुझ से ख़फ़ा हो गया है यार
बे-दिए ले उड़ा कबूतर ख़त
वो जब आप से अपना पर्दा करें