बे दिए ले उड़ा कबूतर ख़त
यूँ पहुँचता है ऊपर ऊपर ख़त
Mohsin Naqvi
Wasi Shah
Mir Taqi Mir
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Habib Jalib
Gulzar
Faiz Ahmad Faiz
Allama Iqbal
Jaun Eliya
Javed Akhtar
Anwar Masood
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बोसा-ए-आरिज़ मुझे देते हुए डरता है क्यूँ
ज़ाहिर में अगरचे यार ग़म-ख़्वार नहीं
मोहताज नहीं क़ाफ़िला आवाज़-ए-दरा का
भला क्या ता'ना दूँ ज़ुहहाद को ज़ुहद-ए-रियाई का
बर-सर-ए-लुत्फ़ आज चश्म-ए-दिल-रुबा थी मैं न था
है ईद मय-कदे को चलो देखता है कौन
हम ने सौ सौ तरह बनाई बात
पुर्सिश को अगर होंट तुम्हारे नहीं हिलते
क्या खाएँ हम वफ़ा में अब ईमान की क़सम
'नाज़िम' ये इंतिज़ाम रिआ'यत है नाम की
आ जाए अगर हुक्म फ़लक से 'नाज़िम'
शबिस्ताँ में रहो बाग़ों में खेलो मुझ से क्यूँ पूछो