कैफ़-ए-सफ़र अब अपना हासिल
कैफ़-ए-सफ़र अब अपना हासिल
कैसा जादा कैसी मंज़िल
आज की दुनिया दीद के क़ाबिल
आँखें रौशन दिल है ग़ाफ़िल
होश रहे तो कोई बताए
कौन था रहज़न कौन था क़ातिल
मौज-ए-वफ़ा को ढूँढ रहा हूँ
दरिया दरिया साहिल साहिल
पहले-पहल तूफ़ान-ए-तमन्ना
तर्क-ए-तमन्ना आख़िरी मंज़िल
नक़्श-ए-क़दम से तेरे रौशन
जादा जादा मंज़िल मंज़िल
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