मौत के खूँ-ख़्वार पंजों में सिसकती है हयात
आज है इंसानियत की हर अदा सहमी हुई
Ahmad Faraz
Anwar Masood
Mir Taqi Mir
Habib Jalib
Parveen Shakir
Allama Iqbal
Gulzar
Mohsin Naqvi
Jaun Eliya
Rahat Indori
Wasi Shah
Faiz Ahmad Faiz
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(634) Peoples Rate This
कहीं एक मासूम नाज़ुक सी लड़की मरे ज़िक्र पर झेंप जाती तो होगी
आज फिर वक़्त कोई अपनी निशानी माँगे
इतनी मुद्दत बा'द मिले हो कुछ तो दिल का हाल कहो
उस से भी ऐसी ख़ता हो ये ज़रूरी तो नहीं
बैठे रहेंगे थाम के कब तक यूँ ख़ाली पैमाने लोग
फिर कोई चोट उभरी दिल में कसक सी जागी
क्या तुम भी तरीक़ा नया ईजाद करो हो
छोटी सी ये बात सही पर खींचे है ये तूल मियाँ
तुझ से टूटा रब्त तो फिर और क्या रह जाएगा
ख़याल-ओ-ख़्वाब की अब रहगुज़र में रहता है
ये ज़ाद-ए-राह हमेशा सफ़र में रख लेना