सय्यद शकील दस्नवी कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का सय्यद शकील दस्नवी
नाम | सय्यद शकील दस्नवी |
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अंग्रेज़ी नाम | Syed Shakeel Desnavi |
उस से बछड़ा तो यूँ लगा जैसे
'शकील' हिज्र के ज़ीनों पे रुक गईं यादें
रिश्ता रहा अजीब मिरा ज़िंदगी के साथ
फिर कोई चोट उभरी दिल में कसक सी जागी
मौत के खूँ-ख़्वार पंजों में सिसकती है हयात
गर्द-ए-सफ़र के साथ था वाबस्ता इंतिज़ार
अहरमन का रक़्स-ए-वहशत हर गली हर मोड़ पर
ये ज़ाद-ए-राह हमेशा सफ़र में रख लेना
ये शबनम फूल तारे चाँदनी में अक्स किस का है
उस से भी ऐसी ख़ता हो ये ज़रूरी तो नहीं
तुझ से टूटा रब्त तो फिर और क्या रह जाएगा
रेज़ा रेज़ा जैसे कोई टूट गया है मेरे अंदर
मैं कर्ब-ए-बुत-तराशी-ए-आज़र में क़ैद था
क्या तुम भी तरीक़ा नया ईजाद करो हो
किस को ख़बर ये हस्ती क्या है कितनी हक़ीक़त कितना ख़्वाब
किन हवालों में आ के उलझा हूँ
ख़याल-ओ-ख़्वाब की अब रहगुज़र में रहता है
कहीं एक मासूम नाज़ुक सी लड़की मरे ज़िक्र पर झेंप जाती तो होगी
इतनी मुद्दत बा'द मिले हो कुछ तो दिल का हाल कहो
इक तमन्ना है ख़मोशी के कटहरे कितने
छोटी सी ये बात सही पर खींचे है ये तूल मियाँ
बैठे रहेंगे थाम के कब तक यूँ ख़ाली पैमाने लोग
अक़ब से वार था आख़िर मैं आह क्या करता
आज फिर वक़्त कोई अपनी निशानी माँगे
आज फिर वक़्त कोई अपनी निशानी माँगे