भूल मेरी क़ुबूल की उस ने
नक़्द क़ीमत वसूल की उस ने
किस की चाहत थी उस के सीने में
बात जब बा-उसूल की उस ने
चाहिए उस को सब की हमदर्दी
अपनी सूरत मलूल की उस ने
दिल नहीं मानता किसी की भी
बहस सारी फ़ुज़ूल की उस ने
कैसे हँस कर 'सफ़ी' मिरी ख़्वाहिश
अपने क़दमों की धूल की उस ने