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दर्द का आबशार जारी है - सय्यद मुनीर कविता - Darsaal

दर्द का आबशार जारी है

दर्द का आबशार जारी है

तुम भी हो रात भी तुम्हारी है

सुब्ह की नींद वक़्त की ख़ुशबू

तुम ठहर जाओ तो हमारी है

तिरी हर बात जब्र की पाबंद

तिरी हर बात इख़्तियारी है

किस ने ये फ़ैसला किया होगा

क्यूँ मिरी ज़िंदगी तुम्हारी है

शे'र के दाख़ली तरन्नुम में

इक सुकूँ-ख़ेज़ बे-क़रारी है

रात-दिन उस को याद करता हूँ

वक़्त पर जिस की शहरयारी है

जगमगाता है आसमान 'मुनीर'

और अंधेरा गली पे तारी है

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In Hindi By Famous Poet Syed Muneer. is written by Syed Muneer. Complete Poem in Hindi by Syed Muneer. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.