Ghazals of Syed Muneer
नाम | सय्यद मुनीर |
---|---|
अंग्रेज़ी नाम | Syed Muneer |
याद के त्यौहार में वस्ल-ओ-वफ़ा सब चाहिए
तू अपने हुस्न की आराइशों में गुम हो जा
तर्क-ए-उल्फ़त में कोई यकता न था
साया-ए-ज़ुल्म सर-ए-ख़ल्क़-ए-ख़ुदा होता है
रिवाज-ओ-रस्म का उस को हुनर भी आता है
नज़र पे बैठ गया जो ग़ुबार किस का था
हम से पहले तो कोई यूँ न फिरा आवारा
गली कूचों में जब सब जल-बुझा आहिस्ता आहिस्ता
दिल का दरवाज़ा खुला हो जैसे
दर्द का आबशार जारी है
अब्र का माहताब का भी था