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ज़िंदगी की हर नफ़स में बे-कली तेरे बग़ैर - सय्यद मुबीन अल्वी ख़ैराबादी कविता - Darsaal

ज़िंदगी की हर नफ़स में बे-कली तेरे बग़ैर

ज़िंदगी की हर नफ़स में बे-कली तेरे बग़ैर

हर ख़ुशी लगती है दिल को अजनबी तेरे बग़ैर

फ़स्ल-ए-गुल ने लाख पैदा की फ़ज़ा-ए-पुर-बहार

ग़ुंचा-ए-दिल पर न आई ताज़गी तेरे बग़ैर

तिश्ना-कामी को मिरी सैराब करने के लिए

उठते उठते वो नज़र भी रह गई तेरे बग़ैर

कोई जल्वा कोई मंज़र मुझ को भाता ही नहीं

चाँद की सूरत भी है बे-नूर सी तेरे बग़ैर

रह गया आख़िर सुकूँ-ना-आश्ना हो कर मुबीन

आहटें होने लगीं हैं दर्द की तेरे बग़ैर

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In Hindi By Famous Poet Syed Mubeen Alvi Khairabadi. is written by Syed Mubeen Alvi Khairabadi. Complete Poem in Hindi by Syed Mubeen Alvi Khairabadi. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.