Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_c1c77c28773206fb21fe4188446532ec, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
तुम्हारे आने का जब जब भी एहतिमाम किया - सय्यद मुबीन अल्वी ख़ैराबादी कविता - Darsaal

तुम्हारे आने का जब जब भी एहतिमाम किया

तुम्हारे आने का जब जब भी एहतिमाम किया

तो हसरतों ने अदब से मुझे सलाम किया

कहाँ कहाँ न नज़र ने तुम्हारी काम किया

उतर के दिल में उमीदों का क़त्ल-ए-आम किया

ग़मों के दौर में हँस कर जो पी गए आँसू

तो आने वाली मसर्रत ने एहतिराम किया

ये किस ने चुन के मसर्रत के फूल दामन से

ग़मों का बोझ मिरी ज़िंदगी के नाम किया

मुबीन गुलशन-ए-हस्ती में आग भड़की है

जुनून-ए-शौक़ ने क्या ख़ूब अपना काम किया

(584) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

In Hindi By Famous Poet Syed Mubeen Alvi Khairabadi. is written by Syed Mubeen Alvi Khairabadi. Complete Poem in Hindi by Syed Mubeen Alvi Khairabadi. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.