Ghazals of Syed Mohammad Zafar, Ashk Sanbhali
नाम | सय्यद मोहम्मद ज़फ़र अशक संभली |
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अंग्रेज़ी नाम | Syed Mohammad Zafar, Ashk Sanbhali |
तर्क शौक़-ए-शराब क्या करते
मिज़ाज-ए-हुस्न में यारब तू प्यार पैदा कर
मिला जो ख़ार तो दिल में बिठा लिया मैं ने
मलाल होते हुए दिल पे कुछ मलाल नहीं
कुछ इस तरह ग़म-ए-उल्फ़त की काएनात लुटी
इब्तिदा कितनी मोहब्बत की हसीं होती है
फ़िक्र क्यूँ है क़याम करने की
दौर-ए-मय है मगर सुरूर नहीं
चैन कब आता है घर में तिरे दीवाने को
ब-हर-सूरत मोहब्बत का यही अंजाम देखा है