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थर्ड-डिवीज़न - सय्यद मोहम्मद जाफ़री कविता - Darsaal

थर्ड-डिवीज़न

जीने की कश्मकश में न बे-कार डालिए

मैं थर्ड-डिवीज़नर हूँ मुझे मार डालिए

फिर नाम अपना क़ौम का मेमार डालिए

डिग्री को मेरी लीजिए आचार डालिए

कुछ क़ौम का भला हो तो कुछ आप का भला

मेरा भला हो कुछ मिरे माँ बाप का भला

जाता है जिस जगह भी कोई थर्ड-डिवीज़नर

कहते हैं सब कि आ गया तू किस लिए इधर

तू चल यहाँ से तेरी न होगी यहाँ गुज़र

लौह-ए-जहाँ पे हर्फ़-ए-मुकर्रर हूँ मैं मगर

''या-रब ज़माना मुझ को मिटाता है किस लिए''

हर शख़्स मुझ को आँख दिखाता है किस लिए

मैं पास हो गया हूँ मगर फिर भी फ़ेल हूँ

तालीम के इदारों के हाथों में खेल हूँ

जिस का निशाना जाए ख़ता वो ग़ुलैल हूँ

मैं ख़ाक में मिला हुआ मिट्टी का तेल हूँ

और यूनिवर्सिटी भी नहीं है रिफ़ाइनरी

सूरत भी तस्फ़िये की नहीं कोई ज़ाहिरी

अख़बार मैं ने देखा तो मुझ पर हुआ अयाँ

होते हैं पास वो भी न दें जो कि इम्तिहाँ

यानी कि आनरेरी भी मिलती हैं डिग्रियाँ

मैं जिस ज़मीं पे पहुँचा वहीं पाया आसमाँ

डिग्री है इक गुनाहों की तहरीर मेरे साथ

गर हो सके तो माँग लूँ इक उम्र को उधार

और इम्तिहान जिस का नहीं कोई ए'तिबार

उस इम्तिहाँ की बाज़ी लगाऊँगा बार बार

कहते हैं लोग इस को ये मछली का है शिकार

ये इम्तिहान मछली फँसाने का जाल है

''आलम तमाम हल्क़ा-ए-दाम-ए-ख़याल है''

(2010) Peoples Rate This

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In Hindi By Famous Poet Syed Mohammad Jafri. is written by Syed Mohammad Jafri. Complete Poem in Hindi by Syed Mohammad Jafri. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.