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ऐ ग़म-ए-दिल क्या करूँ - सय्यद मोहम्मद जाफ़री कविता - Darsaal

ऐ ग़म-ए-दिल क्या करूँ

इतनी गुज़री है गिराँ चीज़ों की अर्ज़ानी मुझे

हो गया है ताज़ा सौदा-ए-ग़ज़ल-ख़्वानी मुझे

दूध में बिल्कुल नज़र आता नहीं पानी मुझे

दिल ने कर रक्खा है महव-ए-सद-परेशानी मुझे

''एे ग़म-ए-दिल क्या करूँ ऐ वहशत-ए-दिल क्या करूँ''

काम धंदा कुछ नहीं दिल किस तरह बहलाऊँ मैं

क्यूँ न लीडर बन के सारी क़ौम को बहकाऊँ मैं

जब नहीं धंदा तो चंदा ही करूँ और खाऊँ मैं

स्क्रीनिंग की कमेटी के न हाथ आ जाऊँ मैं

''ऐ ग़म-ए-दिल क्या करूँ ऐ वहशत-ए-दिल क्या करूँ''

क्यूँ न एडीटर बनूँ अख़बार-ए-गौहर-बार का

और क़लम को रूप दूँ चलती हुई तलवार का

हाथ में शमला हो सब अशराफ़ की दस्तार का

मार्शल-ला में मगर पहला है टुकड़ा मार का

''ऐ ग़म-ए-दिल क्या करूँ ऐ वहशत-ए-दिल क्या करूँ''

सोचता हूँ फिर कि हज कर आऊँ स्मगलर बनूँ

माल-ए-दीन ओ माल-ए-दुनिया का बड़ा डीलर बनूँ

मुल्क के अंदर बनूँ या मुल्क के बाहर बनूँ

अल-ग़रज़ जो कुछ बनूँ मैं फ़ौज से बच कर बनूँ

''ऐ ग़म-ए-दिल क्या करूँ ऐ वहशत-ए-दिल क्या करूँ''

क्या ख़बर थी क़ीमतें यूँ होंगी सस्ती एक दिन

''रंग लाएगी हमारी फ़ाक़ा-मस्ती एक दिन''

चोर-बाज़ारी की मिट जाएगी हस्ती एक दिन

होगी शेवरलेट पे भी टू-लेट की तख़्ती एक दिन

''ऐ ग़म-ए-दिल क्या करूँ ऐ वहशत-ए-दिल क्या करूँ''

बहर के सीने से सोना तक उगलवाया गया

गंदुम-ए-ख़ल्वत-नशीं बाज़ार में लाया गया

और ज़ख़ीरा-बाज़ से चक्की में पिसवाया गया

नफ़अ-ख़ोरों का दिवाला तक निकलवाया गया

''ऐ ग़म-ए-दिल क्या करूँ ऐ वहशत-ए-दिल क्या करूँ''

हाए कश्कोल-ए-गदाई ले के अब जाएगा कौन

लाल गंदुम ला के हम कालों को खिलवाएगा कौन

जिस को अमरीकी सुअर खाते थे वो खाएगा कौन

साथ में गंदुम के मिस्टर घुन को पिसवाएगा कौन

''ऐ ग़म-ए-दिल क्या करूँ ऐ वहशत-ए-दिल क्या करूँ''

ग़ैर-मुल्की माल को रोती हैं अब तक बीबियाँ

और हर इम्पोर्ट के लाइसेंस को उन के मियाँ

ग़ैर बैंकों में जो दौलत है वो आएगी यहाँ

''याद थीं हम को भी रंगा-रंग बज़्म-आराइयाँ''

''ऐ ग़म-ए-दिल क्या करूँ ऐ वहशत-ए-दिल क्या करूँ''

या मैं सब कुछ छोड़ दूँ और चोर-बाज़ारी करूँ

ज़िंदगी की फ़िल्म में ऐसी अदाकारी करूँ

दोनों हाथों से कमा कर उज़्र-ए-नादारी करूँ

जब हुकूमत टेक्स माँगे आह और ज़ारी करूँ

''ऐ ग़म-ए-दिल क्या करूँ ऐ वहशत-ए-दिल क्या करूँ''

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In Hindi By Famous Poet Syed Mohammad Jafri. is written by Syed Mohammad Jafri. Complete Poem in Hindi by Syed Mohammad Jafri. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.