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कुछ इस अंदाज़ से हैं दश्त में आहू निकल आए - सय्यद मंज़ूर हैदर कविता - Darsaal

कुछ इस अंदाज़ से हैं दश्त में आहू निकल आए

कुछ इस अंदाज़ से हैं दश्त में आहू निकल आए

कि उन को देख कर फूलों के भी आँसू निकल आए

फ़लक को कौन सी वादी बरहना-सर नज़र आई

गरजते बादलों के लश्करी हर-सू निकल आए

अभी तो एक ही दिल का दरीचा वा किया मैं ने

यहाँ बहर-ए-ज़ियारत किस क़दर जुगनू निकल आए

जो सज्दे की नहीं तो रक़्स करने की इजाज़त हो

किसी सीने से जब बाहर तिरी ख़ुशबू निकल आए

इसी उम्मीद पर काटा सफ़र तारीक राहों का

न जाने कौन से गुम्बद से वो मह-रू निकल आए

चमन-ज़ार-ए-वफ़ा में मौसमों की अपनी फ़ितरत है

बुरीदा एक बाज़ू से कई बाज़ू निकल आए

कभी तो एहतियात-ए-ज़ोहद से हाएल हुए पर्दे

कभी मस्ती में भी तस्बीह के पहलू निकल आए

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In Hindi By Famous Poet Syed Manzoor Haidar. is written by Syed Manzoor Haidar. Complete Poem in Hindi by Syed Manzoor Haidar. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.