जब मैं रोया हूँ वो रोए हैं ये उल्फ़त मेरे साथ

जब मैं रोया हूँ वो रोए हैं ये उल्फ़त मेरे साथ

मुद्दतों बरसा किया है अब्र-ए-रहमत मेरे साथ

जान जाए यार है दिल को रहेगा पास-ए-इश्क़

क़ब्र में जाएँगे तेरे राज़-ए-उल्फ़त मेरे साथ

देती है तर्ग़ीब नाले की कि हर आज़ुर्दा-दोस्त

दुश्मनी करती है अब मेरी मोहब्बत मेरे साथ

मैं तो हूँ दिल-दादा-ए-उल्फ़त कहो मैं क्या करूँ

दिल-रुबा हो कर करो तुम जब ये उल्फ़त मेरे साथ

शक्ल तेरी सामने आँखों के है आठों-पहर

याद तेरी है शरीक-ए-रंज-ओ-राहत मेरे साथ

बन गया बेताब दिल इक महशरिस्तान-ए-ख़्याल

ख़्वाब में जब वो हुए सरगर्म-ए-उल्फ़त मेरे साथ

याद अब भूले से भी सुब्ह-ए-वतन आती नहीं

हो गई मानूस ऐसी शाम-ए-ग़ुर्बत मेरे साथ

दिल में धड़कन लब पे नाले चश्म-ए-तर में अश्क-ए-ख़ूँ

क्या कहूँ क्या कर गई तेरी मोहब्बत मेरे साथ

याद आता है ये रफ़्तार-ए-क़मर को देख कर

सैर करता था यूँ ही वो माह-तलअ'त मेरे साथ

तू है और तेरी नज़र में इक क़यामत का ग़ुरूर

मैं हूँ और इक महशर-ए-अरमान-ओ-हसरत मेरे साथ

वो तो रुख़्सत कर के मुझ को घर में जा बैठे मगर

याद उन की दूर तक आई थी 'शौकत' मेरे साथ

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In Hindi By Famous Poet Syed Kazim Ali Shaukat Bilgiraamii. is written by Syed Kazim Ali Shaukat Bilgiraamii. Complete Poem in Hindi by Syed Kazim Ali Shaukat Bilgiraamii. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.