कभी कभी मुझे लगता है वो नहीं है वो
मगर कभी कभी लगता है वो वही तो नहीं
Wasi Shah
Rahat Indori
Parveen Shakir
Mohsin Naqvi
Mir Taqi Mir
Faiz Ahmad Faiz
Jaun Eliya
Ahmad Faraz
Anwar Masood
Javed Akhtar
Habib Jalib
Gulzar
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(645) Peoples Rate This
था मगर इतना ज़ियादा तो जुनूँ-ख़ेज़ न था
पुल-ए-सिरात न था दश्त-ए-नैनवा भी न था
इसी ख़याल से दिल की रफ़ू-गरी नहीं की
फ़क़त क़याम का मतलब गुज़र-बसर कोई है
पहलू-ए-ग़ैर में दुख-दर्द समोने न दिया
दिल को तुम्हारे रंज की पर्वा बहुत रही
'चार्ली-चैपलिन'
तड़प भी है मिरी और बाइस-ए-सुकूँ भी है
हमारे लिए तो यही है!
दिखाई देती है जो शक्ल वो बनी ही न हो
इस क़दर ग़ौर से देखा है सरापा उस का
सग-ए-जमाल हूँ गर्दन से बाँध कर ले जा