मैं एक आँसू इकट्ठा कर रहा हूँ

मेरा दुख कुओं कि तराईयों में उतर गया है

मैं उसे खींच कर निकाल लूँगा

मेरी आँखों में इक आबशार की धुँद फैल गई है

मैं उसे एक आँसू में जम्अ कर लूँगा

हम ने एक ही घूँट से प्यास बुझाई

जो तुम ने हल्क़ के अंदर से चखा

और मेरे होंटों ने

तुम्हारे हल्क़ के बाहर से

तुम हमारी तरफ़ रुख़ कर के किताब देखते

और तख़्त-ए-सियाह की तरफ़ रुख़ कर के

लिखते

मैं भी एक हिसाबी उलझन सुलझा रहा था

तुम्हारे ज़ानू

तुम्हारे कूल्हों से ज़ियादा फ़र्बा क्यूँ हैं

तुम्हें मिली हुई नेमतों के तशक्कुर में

झुकी रहने वाली ब्रेज़ियर

मिरे इस्तिक़बाल के लिए खड़ी हो गई थी

मुझे तुम्हारे कूल्हों की मासूमियत मार डालेगी

गर्दन से नीचे

तुम्हारी रीढ़ की हड्डी पर साँप लिपटा हुआ था

कहाँ चला गया

तुम्हारी आँखों में मेरे लिए

एक ख़ैर-मक़दमी रास्ता बिछा था

जिस पर मैं इस जुस्तुजू में चलता जाता

तुम्हारी आँखें अस्ल में कहाँ वाक़े हैं

तुम्हारी पुश्त पर लिपटा साँप

मेरे सीने पर रेंग रहा है

काश मैं उसे

अपनी टाँगों के दरमियाँ घोंट सकता

दाँतों ने मेरे होंट बर्बाद कर दिए

मैं तुम्हारे रुख़्सारों पर

इन का तुख़्म बौना चाहता था

ज़िंदगी मैं ने भीक में वसूल कि

अब वो मेरे गुल्लक में गल रही है

आज मैं उसे तोड़ दूँगा

मेरा दुख कुओं की तराईयों में उतर गया है

आज मैं उसे एक आँसू में इकट्ठा कर दूँगा

तुम उसे

अपनी ज़बान की नोक पर उतार कर थूक देना

ज़मीन पर

या मेरे मुँह पर

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In Hindi By Famous Poet Syed Kashif Raza. is written by Syed Kashif Raza. Complete Poem in Hindi by Syed Kashif Raza. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.