तारीख़ से इजतिमाई मुबाशरत
हम ने खेल समझ कर शुरूअ की
फिर शोर बढ़ता गया
और हमारा शौक़ देख कर
हमारी बुरीदा तारीख़
हमारी ज़ौजियत में दी गई
अब उस के बच्चे कुत्तों से ज़ियादा हैं
Wasi Shah
Parveen Shakir
Anwar Masood
Habib Jalib
Allama Iqbal
Ahmad Faraz
Mohsin Naqvi
Mir Taqi Mir
Jaun Eliya
Gulzar
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इसी ख़याल से दिल की रफ़ू-गरी नहीं की
पहलू-ए-ग़ैर में दुख-दर्द समोने न दिया
उस पर निगाह फिरती रही और दूर दूर
बेवफ़ा था तो नहीं वो, मगर ऐसा भी हुआ
तड़प भी है मिरी और बाइस-ए-सुकूँ भी है
हमारे लिए तो यही है!
जो साँस साँस सही उस सज़ा का नाम न लो
इक रोज़ ये सर-रिश्ता-ए-इदराक जला दूँ
फ़क़त क़याम का मतलब गुज़र-बसर कोई है
'चार्ली-चैपलिन'
मैं एक आँसू इकट्ठा कर रहा हूँ
दिखाई देती है जो शक्ल वो बनी ही न हो