रंग से रास्ता सूरत से पता लेता हूँ
रंग से रास्ता सूरत से पता लेता हूँ
और बिछड़े हुए इक इश्क़ को जा लेता हूँ
अब तो ये तुझ से भी बावर नहीं होने वाला
मेरा क़िस्सा है सो ख़ुद को ही सुना लेता हूँ
इक ज़ियारत के सिवा यार की क़ुर्बत के सिवा
और ऐ अर्ज़-ओ-समा तुम से मैं क्या लेता हूँ
रित्ल-ए-इश्क़ अपनी तरफ़ से तो उठाया हुआ है
ला इसे तेरी तरफ़ से भी उठा लेता हूँ
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