ब-फ़ैज़-ए-आगही है मुद्दआ संजीदा संजीदा

ब-फ़ैज़-ए-आगही है मुद्दआ संजीदा संजीदा

ख़ुदी ने वा किए हैं राज़ क्या पेचीदा पेचीदा

नज़र हैराँ तबीअत है ज़रा रंजीदा रंजीदा

हुआ दिल है किसी का मुब्तला पोशीदा पोशीदा

फ़ज़ाओं से फ़साना सुन के उस के दर्द-ए-हिज्राँ का

गुलों ने चुन लिए अश्क-ए-सबा लर्ज़ीदा लर्ज़ीदा

इसी मस्त-ए-जवानी के क़दम बढ़ कर लिए होंगे

चमन में चल रही है जो सबा लग़ज़ीदा लग़ज़ीदा

ठहर जाए न घबरा कर कहीं ये क़ाफ़िला दिल का

मिरी जानिब नज़र फिर से उठा दुज़्दीदा दुज़्दीदा

'जमील'-ए-ज़ार का है ये निशाँ ऐ गुलिस्ताँ वालो

जवाँ हिम्मत परेशाँ-हाल सा काहीदा काहीदा

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In Hindi By Famous Poet Syed Jameel Madni. is written by Syed Jameel Madni. Complete Poem in Hindi by Syed Jameel Madni. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.