Ghazals of Syed Hamid
नाम | सय्यद हामिद |
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अंग्रेज़ी नाम | Syed Hamid |
ज़रा न हम पे किया ए'तिबार गुज़री है
शिकवे ज़बाँ पे आ सकें इस का सवाल ही न हो
शिकवा गर कीजे तो होता है गुमाँ तक़्सीर का
फूल चेहरा आँसुओं से धो गए
पहले था मोहब्बत का गुमाँ सो वो यक़ीं है
मुस्कुराने से मुद्दआ' क्या है
मसर्रत में भी है पिन्हाँ अलम यूँ भी है और यूँ भी
लहू को दिल के जो सर्फ़-ए-बहार कर न सके
क्यूँ सादगी से उस की तकरार हो गई है
क्यूँ फ़ना से डरें बक़ा क्या है
इश्वा क्यूँ दिल-रुबा नहीं होता
हम से वो बे-रुख़ी से मिलता है
हक़ किसी का अदा नहीं होता
फ़र्द को अस्र की रफ़्तार लिए फिरती है
बात वो बात नहीं है जो ज़बाँ तक पहुँचे
अक़्ल की जान पर बन आई है
आँख जो इश्वा-ए-पुर-कार लिए फिरती है
आई नहीं क्या क़ैद है गुलशन में सबा भी
आह-ओ-फ़रियाद का असर देखा