खड़खड़ाता एक पत्ता जब गिरा इक पेड़ से

खड़खड़ाता एक पत्ता जब गिरा इक पेड़ से

सोते गहरी नींद पंछी फड़फड़ा कर उड़ चले

जल-बुझी यादों ने जब आँखों में इक अंगड़ाई ली

अध-जले काग़ज़ पे पीले हर्फ़ रौशन हो गए

बीन जब बजने लगी सोया मदन भी जाग उठा

ज़हर लहराने लगा ख़्वाबों में हर इक साँप के

लम्हा लम्हा टूट कर बहने लगी मुद्दत की नींद

रफ़्ता रफ़्ता इक हक़ीक़त ख़्वाब जब बनने लगे

लोग बाज़ीगर बने बाज़ार में आए मगर

खेल वो खेला कि ख़ुद ही इक तमाशा बन गए

कुछ नहीं हैं हम 'मतीन' अब याद-ए-रफ़्ता के सिवा

आज से पहले थे बे-शक आदमी हम काम के

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In Hindi By Famous Poet Syed Fazlul Mateen. is written by Syed Fazlul Mateen. Complete Poem in Hindi by Syed Fazlul Mateen. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.