बन कर जो अंजान गए हैं
बन कर जो अंजान गए हैं
वो मुझ को पहचान गए हैं
शबनम के कितने ही आँसू
फूलों पर क़ुर्बान गए हैं
हँसने वाले ये क्या समझें
साहिल तक तूफ़ान गए हैं
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बन कर जो अंजान गए हैं
वो मुझ को पहचान गए हैं
शबनम के कितने ही आँसू
फूलों पर क़ुर्बान गए हैं
हँसने वाले ये क्या समझें
साहिल तक तूफ़ान गए हैं
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