आप बुलाएँ हम न आएँ ऐसी कोई बात नहीं
आप बुलाएँ हम न आएँ ऐसी कोई बात नहीं
दुनिया वालों से डर जाएँ ऐसी कोई बात नहीं
तेरे सिवा हैं इस दुनिया में अपने भी ग़म-ख़्वार बहुत
सब को दिल का राज़ सुनाएँ ऐसी कोई बात नहीं
राह-ए-वफ़ा में हम ने यारो सारी उम्र गुज़ारी है
चलते चलते ठोकर खाएँ ऐसी कोई बात नहीं
सारे रिश्ते सारे बंधन प्यार के अब तक क़ाएम है
उन को अपने दिल से भुलाएँ ऐसी कोई बात नहीं
मीठी मीठी बातें करना हम से भी तो आती हैं
लेकिन आप का दिल बहलाएँ ऐसी कोई बात नहीं
तेरी जुदाई ग़म का आलम ये सब है तक़दीर की देन
रो रो कर हम अश्क बहाएँ ऐसी कोई बात नहीं
ग़म के मारे इस दुनिया में 'आरिफ़' अब तक ज़िंदा हैं
ग़म से तुम्हारे हम घबराएँ ऐसी कोई बात नहीं
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