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पहले से देखना कहीं बेहतर बनाएँगे - सय्यद अमीनुल हसन मोहानी बिस्मिल कविता - Darsaal

पहले से देखना कहीं बेहतर बनाएँगे

पहले से देखना कहीं बेहतर बनाएँगे

अब अपना एक और मुक़द्दर बनाएँगे

बिगड़े हुए हैं ज़िद पे हैं कौन उन से क्या कहे

इस वक़्त बात बात के दफ़्तर बनाएँगे

देखेंगे अपने दिल के तहम्मुल की कैफ़ियत

हम उन को और छेड़ के ख़ुद-सर बनाएँगे

आने तो दो बहार का मौसम जुनूँ के दिन

अपने लिए हम आप ही नश्तर बनाएँगे

बिस्मिल चलेंगे आज दर-ए-यार तक ज़रूर

पज़मुर्दा दिल को तेरे गुल-ए-तर बनाएँगे

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In Hindi By Famous Poet Syed Aminul Hasan Mohani Bismil. is written by Syed Aminul Hasan Mohani Bismil. Complete Poem in Hindi by Syed Aminul Hasan Mohani Bismil. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.