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वो ख़ुद को मेरे अंदर ढूँडता है - सय्यद अमीन अशरफ़ कविता - Darsaal

वो ख़ुद को मेरे अंदर ढूँडता है

वो ख़ुद को मेरे अंदर ढूँडता है

वो सूरत है ये सूरत-आश्ना है

मगर ये अपने अपने दाएरे हैं

कोई नग़्मा कोई नग़्मा-सरा है

वो बादल है तो क्यूँ है जू-ए-कम-आब

समुंदर है तो क्यूँ पर तौलता है

नदी के दरमियाँ सीधी सड़क है

नदी के पार कच्चा रास्ता है

वो ना-मौजूद हर शय में है मौजूद

ये आलम भी अजब हैरत-फ़ज़ा है

न जाने क्या सर-ए-नज़्ज़ारा होगा

उसे देखा नहीं दिल मुब्तिला है

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In Hindi By Famous Poet Syed Amin Ashraf. is written by Syed Amin Ashraf. Complete Poem in Hindi by Syed Amin Ashraf. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.