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शौक़-ए-वारफ़्ता को मलहूज़-ए-अदब भी होगा - सय्यद अमीन अशरफ़ कविता - Darsaal

शौक़-ए-वारफ़्ता को मलहूज़-ए-अदब भी होगा

शौक़-ए-वारफ़्ता को मलहूज़-ए-अदब भी होगा

शर्त है माल-ए-अरब पेश-ए-अरब भी होगा

लब-ओ-रुख़्सार में होगी गुल-ओ-महताब की बात

आँख में तज़किरा-ए-बिंत-ए-इनब भी होगा

मान लेता है मिरी बात मिरा हीला-तराज़

और सब वा'दों में इक वादा-ए-शब भी होगा

इश्क़ वो शय है कि बर्फ़ीले निहाँ-ख़ानों में

सर्द पड़ जाए शरर-बार तो जब भी होगा

बे-तअल्लुक़ ही सही ये मगर उस शख़्स के पास

दिल जो लगता है तो लगने का सबब भी होगा

हर गली शहर की ग़ालीचा-ए-उश्शाक नहीं

ख़ून-ए-नाहक़ है तो फिर दाद-तलब भी होगा

क़हर दरवेश तो होता है ब-जान-ए-दरवेश

ज़ेर-ए-फ़रमान जो होता था सो अब भी होगा

कर्ब के ज़हर का मारा हुआ इंसान है ये

सर पे सौ बोझ मगर ख़ंदा-ब-लब भी होगा

इक असा पास न हो ज़ोम-ए-कलीमी भी हो

ऐसा लगता है कि ये कार-ए-अजब भी होगा

यूँ तो बे-आब हैं खे़मे ये जहाँ तक भी हैं

दिल ये कहता है कहीं अब्र-ए-तरब भी होगा

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In Hindi By Famous Poet Syed Amin Ashraf. is written by Syed Amin Ashraf. Complete Poem in Hindi by Syed Amin Ashraf. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.