रंज-ए-दुनिया हो कि रंज-ए-आशिक़ी क्या देखना
रंज-ए-दुनिया हो कि रंज-ए-आशिक़ी क्या देखना
सारी ख़ुशियाँ हैरतें सब एक सी क्या देखना
बाग़ बाज़ार-ए-तमाशा आँख जूया-ए-बहार
चश्म-ए-नर्गिस या तन-ए-सर्व-ए-सही क्या देखना
देखना क्या एक ही शय सू-ए-बातिन देखिए
बे-हिसी बे-चेहरगी बे-मंज़री क्या देखना
साज़ में बाला-ए-नग़्मा और आवाज़ें भी हैं
इक शरार-ए-नग़्मगी आवाज़ की क्या देखना
राह-ए-सहरा है न आती है कहीं फ़स्ल-ए-बहार
इश्क़ में दीवानगी जामा-दरी क्या देखना
मुश्किलों में काम आ जाती है आशुफ़्ता-सरी
ऐ जुनूँ-सामान-ए-कार-ए-आगही क्या देखना
जब उसे देखा तो जी चाहा कि देखा ही करूँ
सोचता ये था कि नाज़-ए-दिलबरी क्या देखना
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