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रंज-ए-दुनिया हो कि रंज-ए-आशिक़ी क्या देखना - सय्यद अमीन अशरफ़ कविता - Darsaal

रंज-ए-दुनिया हो कि रंज-ए-आशिक़ी क्या देखना

रंज-ए-दुनिया हो कि रंज-ए-आशिक़ी क्या देखना

सारी ख़ुशियाँ हैरतें सब एक सी क्या देखना

बाग़ बाज़ार-ए-तमाशा आँख जूया-ए-बहार

चश्म-ए-नर्गिस या तन-ए-सर्व-ए-सही क्या देखना

देखना क्या एक ही शय सू-ए-बातिन देखिए

बे-हिसी बे-चेहरगी बे-मंज़री क्या देखना

साज़ में बाला-ए-नग़्मा और आवाज़ें भी हैं

इक शरार-ए-नग़्मगी आवाज़ की क्या देखना

राह-ए-सहरा है न आती है कहीं फ़स्ल-ए-बहार

इश्क़ में दीवानगी जामा-दरी क्या देखना

मुश्किलों में काम आ जाती है आशुफ़्ता-सरी

ऐ जुनूँ-सामान-ए-कार-ए-आगही क्या देखना

जब उसे देखा तो जी चाहा कि देखा ही करूँ

सोचता ये था कि नाज़-ए-दिलबरी क्या देखना

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In Hindi By Famous Poet Syed Amin Ashraf. is written by Syed Amin Ashraf. Complete Poem in Hindi by Syed Amin Ashraf. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.