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कहीं शो'ला कहीं शबनम, कहीं ख़ुशबू दिल पर - सय्यद अमीन अशरफ़ कविता - Darsaal

कहीं शो'ला कहीं शबनम, कहीं ख़ुशबू दिल पर

कहीं शो'ला कहीं शबनम, कहीं ख़ुशबू दिल पर

वो समन-बू है बहर-रंग बहर-सू दिल पर

चमन-ए-रूह से ख़ुशबू-ए-बदन आती है

जान पर मौजा-ए-लब नफ़हा-ए-गेसू दिल पर

दिल को ख़ुद हौसला-ए-कार-ए-फ़ुसूँ-साज़ी है

कि चला था न चला है कोई जादू दिल पर

लज़्ज़त-ए-दीद ख़ुदा जाने कहाँ ले जाए

आँख होती है तो होता नहीं क़ाबू दिल पर

ये तहय्युर है कि नज़्ज़ारा कि अफ़्सून-ए-जमाल

सामने पैकर-ए-आहू रम-ए-आहू दिल पर

इस कशाकश में कहाँ जाँ के लिए जा-ए-अमाँ

दिल है मेहराब-ए-हरम मैं ख़म-ए-अबरू दिल पर

जाँ तह-ए-चश्म कि यूँ सैर-ओ-तमाशा ही सही

कोई महताब नज़र में कोई मह-रू दिल पर

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In Hindi By Famous Poet Syed Amin Ashraf. is written by Syed Amin Ashraf. Complete Poem in Hindi by Syed Amin Ashraf. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.