Ghazals of Syed Amin Ashraf
नाम | सय्यद अमीन अशरफ़ |
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अंग्रेज़ी नाम | Syed Amin Ashraf |
जन्म की तारीख | 1931 |
जन्म स्थान | Aligarh |
ज़ेब उस को ये आशोब-ए-गदाई नहीं देता
ये आँख तंज़ न हो ज़ख़्म-ए-दिल हरा न लगे
वो ख़ुद को मेरे अंदर ढूँडता है
वजूद को जिगर-ए-मो'तबर बनाते हैं
तसलसुल पाएमाली का मिलेगा
सुख़न की शब लहू होती रहेगी
शौक़-ए-वारफ़्ता को मलहूज़-ए-अदब भी होगा
रंज-ए-दुनिया हो कि रंज-ए-आशिक़ी क्या देखना
पेच-दर-पेच सवालात में उलझे हुए हैं
न जाने रौज़न-ए-दीवार क्या जादू जगाता है
न जाने जाए कहाँ तक ये सिलसिला दिल का
मुनव्वर और मुबहम इस्तिआरे देख लेता हूँ
मलाल-ए-ग़ुंचा-ए-तर जाएगा कभी न कभी
लरज़ रहा था फ़लक अर्ज़-ए-हाल ऐसा था
किसी ख़याल की रौ में था मुस्कुराते हुए
ख़िरद ऐ बे-ख़बर कुछ भी नहीं है
ख़याल है कि हक़ीक़त है या फ़साना है
ख़ाकसारों से क़रीं रहता है
कहीं शो'ला कहीं शबनम, कहीं ख़ुशबू दिल पर
जो डर अपनों से है ग़ैरों से वो डर हो नहीं सकता
जाने किस मोड़ पे दे हिज्र की सौग़ात मुझे
हल्क़ा-ए-शाम-ओ-सहर से नहीं जाने वाला
है किस के लिए लुत्फ़ ग़ज़ब किस के लिए है
है इर्तिबात-शिकन दाएरों में बट जाना
हाल-ए-दिल-ए-तबाह किसी ने सुना कहाँ
गर्दिश-ए-आब-ओ-हवा जानती है
फ़साद-ए-क़ल्ब-ओ-नज़र हासिल-ए-तमाशा देख
दिल शहर-ए-तहय्युर है कि वो मम्लिकत-आरा
दरख़्शाँ हो जो वो मह-ज़ादा-ए-शब
बे-लुत्फ़ है ये सोच कि सौदा नहीं रहा