आदमी जब ख़ून का प्यासा हुआ
आदमी जब ख़ून का प्यासा हुआ
अज़्मत-ए-इंसान भी धोका हुआ
आप को शोहरत मिली अच्छा हुआ
मेरा क्या है मैं अगर रुस्वा हुआ
क़ब्र पर आओगे रोने के लिए
मेरी जाँ ये भी कोई वादा हुआ
वादा-ए-फ़र्दा पे जो टलता रहे
वो मरीज़-ए-हिज्र कब अच्छा हुआ
जब मिरी आवारगी हद से बढ़ी
आबला-पा लाला-ए-सहरा हुआ
अब चमन में वो सकूँ 'अहसन' कहाँ
इक नशेमन था मिला जलता हुआ
(628) Peoples Rate This