Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_faddb0a809266594a4e6c567c50754d8, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
अपना दुनिया से सफ़र ठहरा है - सय्यद अाग़ा अली महर कविता - Darsaal

अपना दुनिया से सफ़र ठहरा है

अपना दुनिया से सफ़र ठहरा है

गोशा-ए-क़ब्र में घर ठहरा है

हिज्र में ज़ीस्त को कहते हैं मौत

नफ़अ' का नाम ज़रर ठहरा है

दिल मिरा उस का तरफ़-दार हुआ

जो इधर था वो उधर ठहरा है

और अंधेर हुआ चाहता है

सुर्मा मंज़ूर-ए-नज़र ठहरा है

लिख हवा-ओ-हवस-ए-वस्ल ऐ दिल

क़ासिद-ए-बाद-ए-सबा ठहरा है

देखें दोनों में हवा किस की बंधे

अब्र ऐ दीदा-ए-तर ठहरा है

घर जो उस मह का बना है ऐ 'मेहर'

दिल मिरा माह-ए-निगर ठहरा है

(522) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

In Hindi By Famous Poet Syed Agha Ali Mehr. is written by Syed Agha Ali Mehr. Complete Poem in Hindi by Syed Agha Ali Mehr. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.