किसी की इश्वा-गरी से ब-ग़ैर-ए-फ़स्ल-ए-बहार
किसी की इश्वा-गरी से ब-ग़ैर-ए-फ़स्ल-ए-बहार
सभी का चाक गिरेबाँ है देखिए क्या हो
तुम्हें ख़बर ही नहीं ऐ तुयूरनग़्मा-ए-सरा
यही चमन यही ज़िंदाँ है देखिए क्या हो
जहाँ कशूद-ए-नवा पर ख़िज़ाँ के पहरे हैं
वहीं बहार-ए-ग़ज़ल-ख़्वाँ है देखिए क्या हो
सुबू उठा कि ये नाज़ुक मक़ाम है साक़ी
न अहरमन है न यज़्दाँ है देखिए क्या हो
रवाँ है मौज-ए-गुल-ओ-लाला मौज-ए-ख़ूँ की तरह
चमन शहीद-ए-बहाराँ है देखिए क्या हो
दराज़ी-ए-शब-ए-हिज्राँ से मुझ को ख़ौफ़ न था
किसी की ज़ुल्फ़-ए-परेशाँ है देखिए क्या हो
हवा का रंग ये है आशियाँ तो एक तरफ़
क़फ़स भी शाख़ पे लर्ज़ां है देखिए क्या हो
यही है दिल से शिकायत कि मेरा महरम-ए-राज़
मुझी से दस्त-ओ-गिरेबाँ है देखिए क्या हो
हमीं हैं पीर-ए-मुग़ाँ काफ़िरों के ऐ 'आबिद'
हमीं को दावा-ए-ईमाँ है देखिए क्या हो
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