गर्दिश-ए-जाम नहीं रुक सकती
गर्दिश-ए-जाम नहीं रुक सकती
जो भी ऐ गर्दिश-ए-दौराँ गुज़रे
सुब्ह-ए-महशर है बला-ए-ज़ाहिर
किसी सूरत शब-ए-हिज्राँ गुज़रे
कोई बरसा न सर-ए-किश्त-ए-वफ़ा
कितने बादल गुहर-अफ़शाँ गुज़रे
इब्न-ए-आदम को न आया कोई रास
कई आज़र कई यज़्दाँ गुज़रे
ऐ ग़म-ए-यार तिरी राहों से
उम्र-भर सोख़्ता-सामाँ गुज़रे
वो जो परवाने जले रात की रात
मंज़िल-ए-इश्क़ से आसाँ गुज़रे
ग़म-ए-हस्ती के बयाबानों से
कुछ हमीं थे जो ग़ज़ल-ख़्वाँ गुज़रे
ग़म के तारीक उफ़ुक़ पर 'आबिद'
कुछ सितारे सर-ए-मिज़्गाँ गुज़रे
(622) Peoples Rate This