Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_57ea5g221avf38u9ks2709vp90, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
सोज़-ए-ग़म भी नहीं फ़ुग़ाँ भी नहीं - सुरूर बाराबंकवी कविता - Darsaal

सोज़-ए-ग़म भी नहीं फ़ुग़ाँ भी नहीं

सोज़-ए-ग़म भी नहीं फ़ुग़ाँ भी नहीं

जल बुझी आग अब धुआँ भी नहीं

तू ब-ज़ाहिर वो मेहरबाँ भी नहीं

मन्नतें मेरी राएगाँ भी नहीं

जाने क्यूँ तुम से कुछ नहीं कहते

वर्ना हम इतने बे-ज़बाँ भी नहीं

वो निगाहें कि बे-नियाज़ भी हैं

और उन से कहीं अमाँ भी नहीं

दीदा-ओ-दिल हैं कब से चश्म-ब-राह

कोई उफ़्ताद-ए-ना-गहाँ भी नहीं

ऐ ख़ुशा कारोबार-ए-शौक़ 'सुरूर'

नफ़अ' कुछ हो न हो ज़ियाँ भी नहीं

(608) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

In Hindi By Famous Poet Suroor Barabankvi. is written by Suroor Barabankvi. Complete Poem in Hindi by Suroor Barabankvi. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.