Ghazals of Suroor Barabankvi
नाम | सुरूर बाराबंकवी |
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अंग्रेज़ी नाम | Suroor Barabankvi |
जन्म की तारीख | 1927 |
मौत की तिथि | 1980 |
जन्म स्थान | Karachi |
यही नहीं कि मिरा दिल ही मेरे बस में न था
वो बे-रुख़ी कि तग़ाफ़ुल की इंतिहा कहिए
तू उरूस-ए-शाम-ए-ख़याल भी तू जमाल-ए-रू-ए-सहर भी है
तू उरूस-ए-शाम-ए-ख़याल भी तो जमाल-ए-रू-ए-सहर भी है
सोज़-ए-ग़म भी नहीं फ़ुग़ाँ भी नहीं
न किसी को फ़िक्र-ए-मंज़िल न कहीं सुराग़-ए-जादा
मेहर-ओ-माह भी लर्ज़ां हैं फ़ज़ा की बाँहों में
कहे तो कौन कहे सरगुज़श्त-ए-आख़िर-ए-शब
कभी अपने इश्क़ पे तब्सिरे कभी तज़्किरे रुख़-ए-यार के
जब तलक रौशनी-ए-फ़िक्र-ओ-नज़र बाक़ी है
हाल में अपने मगन हो फ़िक्र-ए-आइंदा न हो
फ़स्ल-ए-गुल क्या कर गई आशुफ़्ता सामानों के साथ
दस्त-ओ-पा हैं सब के शल इक दस्त-ए-क़ातिल के सिवा
चमन वालों को रक़्साँ-ओ-ग़ज़ल-ख़्वाँ ले के उट्ठी है
चमन में लाला-ओ-गुल पर निखार भी तो नहीं
और कोई दम की मेहमाँ है गुज़र जाएगी रात
ऐ जुनूँ कुछ तो खुले आख़िर मैं किस मंज़िल में हूँ
आरज़ू जिन की है उन की अंजुमन तक आ गए