Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_a6d07212d8a3f022d9735fcc3d435a63, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
एक दिन मेरा आईना मुझ को - सुरेन्द्र शजर कविता - Darsaal

एक दिन मेरा आईना मुझ को

एक दिन मेरा आईना मुझ को

मुझ से कर जाएगा जुदा मुझ को

वो भी मौजूद था किनारे पर

उस ने देखा था डूबता मुझ को

ग़म, मुसीबत, फ़िराक़, तन्हाई,

उस ने क्या कुछ नहीं दिया मुझ को

फूल हूँ ख़ाक तो नहीं हूँ मैं

रास कब आएगी हवा मुझ को

सैकड़ों आइने बदल डाले

अपना चेहरा नहीं मिला मुझ को

लब पे मोहर-ए-सुकूत भी तो नहीं

कर गया कौन बे-सदा मुझ को

मौत क्यूँ-कर नजात बख़्शेगी

ज़िंदगी तू ने क्या दिया मुझ को

(667) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

In Hindi By Famous Poet Surender Shajar. is written by Surender Shajar. Complete Poem in Hindi by Surender Shajar. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.