मुस्तक़िल दर्द का सैलाब कहाँ अच्छा है

मुस्तक़िल दर्द का सैलाब कहाँ अच्छा है

वक़्फ़ा-ए-सिलसिला-ए-आह-ओ-फ़ुग़ां अच्छा है

हो न जाए मिरे लहजे का असर ज़हरीला

इन दिनों मुँह से निकल जाए ज़बाँ अच्छा है

मुझ से मांगेगी मिरी आँख गुलाबी मंज़र

हो मिरे हाथ में तस्वीर-ए-बुताँ अच्छा है

जिन के सीने में तअस्सुब नहीं पलता कोई

ऐसे लोगों के लिए सारा जहाँ अच्छा है

कितने चालाक हैं ये ऊँची हवेली वाले

हम से कहते हैं कि मिट्टी का मकाँ अच्छा है

ज़ेर-ए-लब रेंगता रहता है तबस्सुम 'सूरज'

इस क़यामत से तो आहों का धुआँ रहता है

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In Hindi By Famous Poet Suraj Narayan Meher. is written by Suraj Narayan Meher. Complete Poem in Hindi by Suraj Narayan Meher. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.