क्या ये ही है मेरी दुनिया मैं जिस से वाबस्ता हूँ
क्या ये ही है मेरी दुनिया मैं जिस से वाबस्ता हूँ
या कुछ पोशीदा है अब तक मैं जिस से अन-जाना हूँ
मुझ को मुझ से कौन मिलाए कौन मुझे ये समझाए
तब मैं क्या था अब मैं क्या हूँ आगे क्या हो सकता हूँ
गाहे गाहे दर्द जिगर में ऐसे करवट लेता है
कोई पुराना साथी जैसे आ कर पूछे कैसा हूँ
जब भी चाहे मुझ को यहाँ से वो बाहर कर सकता है
मैं छोटी सी दुनिया ले के उस के भीतर सिमटा हूँ
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