सुनील कुमार जश्न कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का सुनील कुमार जश्न
नाम | सुनील कुमार जश्न |
---|---|
अंग्रेज़ी नाम | Sunil Kumar Jashn |
निगाहों ने कई सपने बुने हैं
क्या ये ही है मेरी दुनिया मैं जिस से वाबस्ता हूँ
किसी के ख़्वाब का साया था काफ़ी वक़्त हुआ
ख़ुद ही पर ज़ुल्म ढाया जा रहा है
हर इक महफ़िल में ये ही सोचता हूँ
हाए वो याद कहाँ है कि ख़ुदा ख़ैर करे
दौर-ए-बरहम बे-मअ'नी
अजब सी बद-हवासी छा रही है
अब तो दिल ओ दिमाग़ में कोई ख़याल भी नहीं
आबरू की किसे ज़रूरत है