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तेरी आँखों पे घने ख़्वाबों का पहरा हूँ मैं - सुलतान सुबहानी कविता - Darsaal

तेरी आँखों पे घने ख़्वाबों का पहरा हूँ मैं

तेरी आँखों पे घने ख़्वाबों का पहरा हूँ मैं

इस तअल्लुक़ से ही किस दर्जा सुनहरा हूँ मैं

लोग क्यूँ घूर के सच्चाई मुझे देखते हैं

ऐसा लगता है कि जैसे तिरा चेहरा हूँ मैं

ख़ुद को खो दोगे मिरी तह तलक आते आते

लफ़्ज़ हूँ लफ़्ज़ समुंदर से भी गहरा हूँ मैं

तू उधर ख़त मिरा पढ़ती है तो लगता है मुझे

तेरी आँखों के हसीं शहर में ठहरा हूँ मैं

एक पत्थर हूँ अगर तुझ से कहीं दूर हूँ

तुझ से छू जाऊँ तो सद-ख़ुश्बू का लहरा हूँ मैं

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In Hindi By Famous Poet Sultan Subhani. is written by Sultan Subhani. Complete Poem in Hindi by Sultan Subhani. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.