अपनी ज़मीं से दूर ज़मान-ओ-मकाँ से दूर

अपनी ज़मीं से दूर ज़मान-ओ-मकाँ से दूर

हम ने सजा लिया है क़फ़स आशियाँ से दूर

माना कि हम वतन से अज़ीज़ों से दूर हैं

तहज़ीब से जुदा हैं न उर्दू ज़बाँ से दूर

महसूर तंगना-ए-मसालिक में हम नहीं

दैर-ओ-हरम से दूर हैं कू-ए-बुताँ से दूर

महसूस कर रहे हैं विलायत में आज-कल

हिन्दोस्ताँ में रहते हैं हिन्दोस्ताँ से दूर

सोज़-ए-यक़ीन मिशअल-ए-राह-ए-हयात है

तश्कील से बुलंद हैं वहम-ओ-गुमाँ से दूर

'सुल्तान' असीर-ए-ज़ुल्फ़ हुए भी तो किस के आप

दिल से बहुत क़रीब हैं और जिस्म-ओ-जाँ से दूर

(484) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

In Hindi By Famous Poet Sultan Farooqui. is written by Sultan Farooqui. Complete Poem in Hindi by Sultan Farooqui. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.