Ghazals of Sultan Akhtar (page 2)
नाम | सुल्तान अख़्तर |
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अंग्रेज़ी नाम | Sultan Akhtar |
जन्म की तारीख | 1940 |
जन्म स्थान | Patna |
जिस को क़रीब पाया उसी से लिपट गए
झूट रौशन है कि सच्चाई नहीं जानते हैं
जा चुका तूफ़ान लेकिन कपकपी है
हम मुतमइन हैं उस की रज़ा के बग़ैर भी
हरीफ़-ए-वक़्त हूँ सब से जुदा है राह मिरी
हर-चंद अपने अक्स का दिल दर्दमंद हो
हरा शजर न सही ख़ुश्क घास रहने दे
हर इक लम्हा हमें हम से जुदा करती हुई सी
हंगामों के क़हत से खिड़की दरवाज़े मबहूत
फ़ुर्सत में रहा करते हैं फ़ुर्सत से ज़्यादा
दस्तार-ए-एहतियात बचा कर न आएगा
दर-ब-दर की ख़ाक पेशानी पे मल कर आएगा
छीन ले क़ुव्वत बीनाई ख़ुदाया मुझ से
बराए नाम सही दिन के हाथ पीले हैं
बराए नाम सही दिन के हाथ पीले हैं
अपनी तहज़ीब की दीवार सँभाले हुए हैं
अब तक लहू का ज़ाइक़ा ख़ंजर पे नक़्श है