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कल रात मेरे साथ अजब हादिसा हुआ - सुलेमान ख़ुमार कविता - Darsaal

कल रात मेरे साथ अजब हादिसा हुआ

कल रात मेरे साथ अजब हादिसा हुआ

सूरज पिघल के मेरी हथेली पे आ गिरा

देखे हैं मेरी आँखों ने मंज़र अजब अजब

इक पेड़ मेरे शहर का सायों को खा गया

सहरा में आब और समुंदर में रेत है

या-रब मैं आज कौन सी दुनिया में आ गया

कैसा तमाशा देखा था हम ने ये रात भर

तारे चमक रहे थे मगर आसमाँ न था

रहज़न तो ख़ुद ही डर के गुफाओं में छुप गए

अब राह-रौ को लूटता फिरता है रास्ता

इन साअ'तों को सुब्ह कहें भी तो किस तरह

सूरज उगा हुआ था अँधेरा छटा न था

बादल बरस रहे हैं मुसलसल मगर 'ख़ुमार'

दरिया तमाम ख़ुश्क हैं झरनों को क्या हुआ

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In Hindi By Famous Poet Suleman Khumar. is written by Suleman Khumar. Complete Poem in Hindi by Suleman Khumar. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.