जब तू मुझ से रूठ गया था
दिल-आँगन में सन्नाटा था
तू क्या जाने तुझ से बिछड़ कर
मैं कितने दिन तक रोया था
सारी ख़ुशियाँ रूठ गई थीं
अरमानों ने दम तोड़ा था
रस्ता रस्ता नगरी नगरी
दिल तुझ को ही ढूँढ रहा था
तन्हाई की फ़स्ल उगी थी
यादों का जंगल फैला था
फ़िक्र के होंटों पर ताले थे
ग़ज़लों का दामन सूना था