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ला-यानियत - सुलैमान अरीब कविता - Darsaal

ला-यानियत

ज़िंदगी शेर का मौज़ूअ तो हो सकती है

शेर के और जो उनवाँ हैं अगर वो न रहें

इस पे क्या बहस करें

बहस फिर बहस है

औरत पे हो लौंडे पे हो या जिंस पे हो

बहस फिर बहस है

अख़्लाक़ पर मज़हब पे हो या फ़ल्सफ़ा-ए-साइंस पे हो

बहस फिर बहस है

ज़िंदगी और अजल पे हो या ख़ुद शेर पे हो

बहस किस दर्जा है ला-यानी शय

बहस जो हो न सकी माँ से कि वो माँ है मिरी

और बेटे से कि बेटा है मिरा

और नहीं जानते हम दोनों भी

मैं भी बेटा भी मिरा

किस की औलाद हैं हम

बहस किस दर्जा है ला-यानी शय

पूछो उस रूह से उस जिस्म से ख़ल्वत में कभी

जो लफ़्ज़ सोचता रहता है यही

ज़िंदगी किस तरह काटी जाए

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In Hindi By Famous Poet Sulaiman Areeb. is written by Sulaiman Areeb. Complete Poem in Hindi by Sulaiman Areeb. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.